लखनऊ के निवासी और भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जल्द ही इतिहास रचने जा रहे हैं। वे भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान का हिस्सा बनेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 27 फरवरी 2024 को तिरुवनंतपुरम स्थित इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में जिन चार अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की गई थी, उनमें शुभांशु भी शामिल हैं।
प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा
शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, अलीगंज शाखा में हुई। देशभक्ति की भावना उनमें बचपन से ही थी और 1999 के करगिल युद्ध ने उन्हें सशस्त्र बलों में सेवा देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने स्वप्रेरणा से यूपीएससी एनडीए परीक्षा पास की और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से कंप्यूटर साइंस में बीएस की डिग्री प्राप्त की।
सैन्य जीवन और उड़ान का सफर

वायु सेना में उन्हें जून 2006 में फाइटर पायलट के रूप में कमीशन मिला। वे लगभग 2,000 घंटे की उड़ान का अनुभव रखते हैं और सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, डॉर्नियर 228, और एएन-32 जैसे विमानों को उड़ाने का अनुभव है। वे एक अनुभवी टेस्ट पायलट और मिशन लीडर भी हैं।
अंतरिक्ष यात्री बनने का सफर
2019 में उन्हें भारतीय वायु सेना के अधीन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAM) ने गगनयान मिशन के लिए चयनित किया। बाद में ISRO और IAM ने उन्हें अंतिम चार अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल किया। 2020 में वे रूस के यूरी गगारिन कॉसमोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में तीन अन्य भारतीयों के साथ बुनियादी अंतरिक्ष प्रशिक्षण के लिए गए। प्रशिक्षण 2021 में पूरा हुआ और फिर भारत लौटकर बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में उन्होंने आगे का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस दौरान उन्होंने IISc बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक भी किया।
अंतरराष्ट्रीय मिशन की तैयारी

शुक्ला को Axiom Mission 4 में पायलट के रूप में चयनित किया गया है, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर जाने वाला एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय मिशन है। यह मिशन NASA, SpaceX और ISRO के संयुक्त सहयोग से संचालित होगा। मिशन में अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन कमांडर होंगी। इस मिशन में भाग लेकर शुभांशु न केवल भारत के पहले अंतरिक्ष स्टेशन विजिटर बनेंगे, बल्कि राकेश शर्मा के बाद कक्षा में जाने वाले दूसरे भारतीय भी बनेंगे। अनुमानित तौर पर उनके सीट की कीमत 500 करोड़ रुपये के आसपास आंकी जा रही है।
व्यक्तिगत जीवन
शुभांशु शुक्ला का विवाह डॉ. कामना शुक्ला से हुआ है, जो पेशे से डेंटिस्ट हैं और उनकी स्कूल की सहपाठी भी रही हैं। दंपति का एक पुत्र है। उनके पिता श्री शंभू दयाल शुक्ला सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं और माता श्रीमती आशा शुक्ला गृहिणी हैं। वे तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनकी बड़ी बहन निधि एमबीए हैं, जबकि दूसरी बहन सुचि एक स्कूल शिक्षिका हैं।

शौक और निजी रुचियाँ
अंतरिक्ष और विज्ञान में रुचि रखने वाले शुभांशु को फुर्सत के समय में व्यायाम, विज्ञान पुस्तकें पढ़ना और हाल ही में ज्योतिष में रुचि लेना पसंद है। वे एक कुशल एस्ट्रोफोटोग्राफर भी हैं।
निष्कर्ष
शुभांशु शुक्ला सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि आज के भारत की अंतरिक्ष यात्रा का प्रतीक हैं। लखनऊ की गलियों से निकलकर अंतरिक्ष तक पहुंचने का उनका सफर हर युवा को यह संदेश देता है कि लगन, समर्पण और परिश्रम से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। भारत की यह पहली मानव अंतरिक्ष यात्रा न केवल देश के विज्ञान और तकनीकी कौशल को विश्वपटल पर स्थापित करेगी, बल्कि शुभांशु जैसे युवाओं के सपनों को साकार करने का एक नया अध्याय भी रचेगी।
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