अद्भुत रहा जी एम एकेडमी के छात्र छात्राओं का कार्यक्रम–श्वेता जायसवाल
बरहज (देवरिया)। नगर के अग्रणी विद्यालय जी एम एकेडमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में विद्यालय के संस्थापक स्व. गौरीशंकर द्विवेदी की जयंती बड़े ही हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाई गई। इस अवसर पर नन्हें-मुन्ने बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुति दी, वहीं विज्ञान प्रदर्शनी ने सभी दर्शकों को छात्र-छात्राओं के क्रियाकलापों की प्रशंसा करने को बाध्य कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत और अतिथियों का स्वागत
कार्यक्रम की शुरुआत आश्रम बरहज पीठाधीश्वर आंञ्जनेय दास जी महाराज, नगर पालिका अध्यक्ष श्वेता जायसवाल, चेयरमैन डॉ. श्री प्रकाश मिश्र, निदेशिका डॉ. संभावना मिश्रा और अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर की गई।



विद्यालय के चेयरमैन डॉ. श्री प्रकाश मिश्र और प्रधानाचार्य राजेश मिश्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।
बच्चों की शानदार प्रस्तुतियाँ
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत गणेश वंदना और स्वागत गीत से हुई। इसके बाद राजस्थानी नृत्य, जया का एकल नृत्य, ऑपरेशन सिंदूर, और रामायण मंचन ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। बच्चों की प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी।







विज्ञान प्रदर्शनी रही आकर्षण का केंद्र
विज्ञान प्रदर्शनी के क्रम में सभी छात्र-छात्राओं ने अपनी अपनी प्रतिभानुसार अलग अलग माडल प्रस्तुत किये
प्रदर्शित मॉडलों में —
पाचन प्रणाली, श्वसन प्रणाली, उत्सर्जन तंत्र, चंद्रयान-3, ज्वालामुखी कार्य, रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम, डीप इरिगेशन, सोलर पैनल, ग्रीन सिटी, मैथ्स कार्नर, सर्वधर्म समभाव, जी एम सिटी बैंकिंग और जी एम सिटी मेडिकल शामिल थे।
सभी मॉडलों की अतिथियों और अभिभावकों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की।





चेयरमैन डॉ. श्री प्रकाश मिश्र का संबोधन
चेयरमैन डॉ. श्री प्रकाश मिश्र ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों शिक्षा का अभाव था। अपने क्षेत्र के विकास एवं बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए ग्रामीण अंचल में जी एम एकेडमी की बरहज शाखा का संचालन शुरू किया गया, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को भी कम संसाधन में उच्च शिक्षा प्रदान की जा सके।
उन्होंने कहा,
“जब ग्रामीण क्षेत्र का विकास होगा, तभी राष्ट्र मजबूत होगा। और राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए हर व्यक्ति का शिक्षित होना आवश्यक है।”
संस्कृति और विज्ञान का संगम
मंगलमणि त्रिपाठी ने बच्चों के रामायण के प्रस्तुति पर अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति का महत्व बताते हुए कहा कि
“भारतीय संस्कृति ही वास्तविक विज्ञान की जननी है। उन्होंने दक्षिण दिशा में पैर न करने की परंपरा का वैज्ञानिक कारण भी बताया।”
अतिथियों के विचार और सम्मान
नगर पालिका अध्यक्ष श्वेता जायसवाल ने विद्यालय के बच्चों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि यहाँ के छात्रों का भविष्य निश्चित रूप से उज्जवल है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आश्रम के पीठाधीश्वर अंज्जनय दास जी महाराज ने कहा,
“जी एम एकेडमी के छात्र छात्राएं बहुत ही होनहार हैं, इतने कम दिनों में शिक्षा के स्तर में उत्तरोत्तर विकास, मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम, अद्भुत विज्ञान प्रदर्शनी आदि इसके सबसे बड़े प्रमाण हैं।”\




शाखाओं का योगदान और अन्य अतिथि
सलेमपुर शाखा के प्रधानाचार्य मोहन द्विवेदी और गोरखपुर शाखा की प्रधानाचार्या श्रीमती राजश्री मिश्रा ने भी बच्चों की प्रस्तुतियों की प्रशंसा की। कार्यक्रम को निशिकांत दीक्षित सहित अनेकों अतिथियों ने संबोधित किया।
कार्यक्रम में सीओ बरहज राजेश चतुर्वेदी, डॉ. ओम प्रकाश शुक्ल, डॉ. अजय कुमार मिश्र, सावित्री राय, रामजी यादव, केशव सिंह, जयप्रकाश सिंह पूर्व ब्लाक प्रमुख, काशिपति शुक्ला, नथुनी प्रसाद, पूर्व विधायक स्वामीनाथ यादव, रतन वर्मा, सच्चिदानंद शुक्ला, पुरुषोत्तम मिश्र, बृजेश मिश्र, रामाश्रय यादव, रामसिंगारे पांडेय आदि के साथ विद्यालय परिवार के समस्त अध्यापक, बच्चे एवं अभिभावक उपस्थित रहे।
प्रतियोगिताओं में बच्चों का सम्मान
नगर निगम द्वारा आयोजित निबंध प्रतियोगिता में
माया को प्रथम स्थान,
आशी सिंह को द्वितीय स्थान और
बंदिता मिश्रा को तृतीय स्थान मिला।


उन्हें प्रशस्ति पत्र एवं मेडल देकर सम्मानित किया गया।
एक दिन पूर्व आयोजित रंगोली प्रतियोगिता में डीएम दिव्या मित्तल ने भी विद्यालय के बच्चों का उत्साहवर्धन किया।
आभार एवं समापन
कार्यक्रम का संचालन अनन्या, सिमरन सिंह, शुभांजलि पाल ने किया।
निदेशिका डॉ. संभावना मिश्रा ने सभी छात्र-छात्राओं, अध्यापकगण, अभिभावकों और अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि-
“जी एम एकेडमी हमेशा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित रहेगी।”
जी एम एकेडमी की यह जयंती समारोह न केवल संस्थापक को श्रद्धांजलि थी, बल्कि यह शिक्षा, संस्कृति और विज्ञान के संगम का प्रेरक उदाहरण भी बना। विद्यालय के छात्र-छात्राओं की प्रतिभा ने यह सिद्ध किया कि ग्रामीण भारत भी अब शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है।
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