19 अगस्त 2025। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर आदि कर्मयोगी अभियान की शुरुआत की है। यह पहल दुनिया के सबसे बड़े जनजातीय जमीनी स्तर के नेतृत्व कार्यक्रम के रूप में परिकल्पित है। इसका उद्देश्य है आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाना, उत्तरदायी शासन को मजबूत करना और देशभर में स्थानीय नेतृत्व के अवसर पैदा करना।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में शुरू हुआ यह अभियान “सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास” के सिद्धांतों पर आधारित है। यह पहल जनजातीय गौरव वर्ष का एक अहम हिस्सा है और 2047 तक विकसित भारत के विज़न में योगदान दे रही है।
अभियान के मुख्य उद्देश्य
गांव और समुदाय स्तर पर उत्तरदायी, जन-केंद्रित शासन को बढ़ावा देना।
राज्य से लेकर जिला, ब्लॉक और गांव स्तर तक शासन प्रयोगशालाएं आयोजित करना।
“1 लाख जनजातीय गांव-विजन 2030” के लिए सह-निर्मित कार्य योजनाएं और निवेश रणनीतियां तैयार करना।
550 जिलों और 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 20 लाख परिवर्तन नेताओं का नेटवर्क तैयार करना।
अभियान के प्रमुख परिणाम
- आदि सेवा केंद्र: हर गांव में स्थापित, जहां अधिकारी और समुदाय साथ मिलकर समाधान निकालेंगे।
- शासन प्रयोगशालाएं: स्थानीय विकास समस्याओं के समाधान के लिए बहु-विभागीय सहयोग।
- ग्राम विज़न 2030: ग्रामीण और अधिकारी मिलकर दीर्घकालिक विकास योजनाएं बनाएंगे।
- सरकारी योजनाओं की संतृप्ति: अंतिम-मील तक सेवाओं की पहुंच।
समुदाय और स्वयंसेवकों की भूमिका
आदि सहयोगी: शिक्षक, डॉक्टर, युवा और पेशेवर – शिक्षा, स्वास्थ्य और नवाचार को बढ़ावा देंगे। आदि साथी: स्वयं सहायता समूह, आदिवासी बुजुर्ग और स्थानीय नेता – सामुदायिक लामबंदी और कार्यान्वयन का नेतृत्व करेंगे। जनजातीय युवाओं, महिलाओं और सामुदायिक नेताओं के लिए शासन, समस्या-समाधान और सामाजिक लामबंदी पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे।
जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम:

“आदि कर्मयोगी अभियान समावेशी शासन और जनभागीदारी को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। सेवा, संकल्प और समर्पण को बढ़ावा देकर, तथा जनजातीय समुदायों और सरकारी अधिकारियों की सहयोगात्मक भागीदारी से, हम 1 लाख जनजातीय गांवों के विज़न 2030 का सह-निर्माण करेंगे।”
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में शुरू हुआ आदि कर्मयोगी अभियान केवल एक सरकारी योजना नहीं बल्कि एक जनआंदोलन है। यह आदिवासी समाज की परंपराओं और आधुनिक शासन प्रणाली को जोड़ने वाला सेतु है। मंत्रालय ने सभी हितधारकों – जनजातीय समुदायों, युवाओं, स्वयं सहायता समूहों, नागरिक समाज और सरकारी अधिकारियों – से इसमें सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया है।
