भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों का सशक्त मंच बना हिंदू सम्मेलन
देवरिया (Deoria) उत्तर प्रदेश आज का हिंदू सम्मेलन केवल एक नियोजित कार्यक्रम नहीं था, बल्कि वह भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा की जीवंत आत्मा का सशक्त प्रकटीकरण बन गया। इसमें राष्ट्रीय एकता की भावना इतनी प्रबल थी कि पूरा आयोजन भारतीय सभ्यता की उस अविराम धारा का प्रतिबिंब प्रतीत हुआ, जिसने पीढ़ियों से समाज को मूल्य, मर्यादा और संतुलन सिखाया है। इस मंच का उद्देश्य सनातन विचारों को नई शक्ति देना, समाज में समरसता का भाव जगाना और युवाओं को अपनी सांस्कृतिक पहचान से गहराई से जोड़ना रहा।
कार्यक्रम के प्रारंभ से ही वातावरण में गंभीरता, प्रेरणा और चेतना का अनूठा संगम दिखाई दिया। मंच और श्रोताओं के बीच संवाद मात्र भाषणों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वह साझा विरासत, ऐतिहासिक स्मृति और सामूहिक दायित्व की भावना को निरंतर जागृत करता रहा।

कार्यक्रम में धर्म, शिक्षा, समाज और राष्ट्र निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर वक्ताओं ने सारगर्भित और प्रेरणादायक विचार प्रस्तुत किए।
विविधता में एकता ही हिंदू समाज की वास्तविक शक्ति
सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने इस तथ्य पर विशेष बल दिया कि हिंदू समाज की वास्तविक शक्ति उसकी विविधता में ही निहित है। भारत की सभ्यता किसी एक मत, एक भाषा या एक परंपरा तक सीमित नहीं रही; उसने सदैव सभी विचारों, मतों और जीवन-दृष्टियों को अपने भीतर समाहित करते हुए एक समन्वित, सर्वग्राही सांस्कृतिक ढाँचा निर्मित किया है। यही कारण है कि भारत में भिन्नता संघर्ष का नहीं, बल्कि सौहार्द का प्रतीक रही है।
वेद, उपनिषद, श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण जैसे पवित्र ग्रंथ केवल धार्मिक उपदेश नहीं देते, बल्कि वे जीवन–प्रबंधन, सामाजिक आचरण, नीति और कर्तव्य की संपूर्ण मार्गदर्शिका हैं। इन ग्रंथों में निहित सत्य, अहिंसा, करुणा, सेवा और कर्तव्य जैसे जीवन-मूल्य आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने प्राचीन युग में थे। यही मूल्य आधुनिक समाज को संतुलन, संवेदना और दिशा प्रदान कर सकते हैं।
सनातन दर्शन का सार यही है — समरसता, सहिष्णुता और आत्मा की एकता का बोध। जब समाज इस शाश्वत सूत्र को आत्मसात करता है, तभी सच्चे अर्थों में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना साकार होती है।

जी. एम. एकेडमी के विद्यार्थियों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहा मन
इस कार्यक्रम में जी. एम. एकेडमी के छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक नृत्य सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बने। बच्चों ने जिस अनुशासन, भावनात्मक गहराई और कलात्मकता के साथ मंच पर प्रस्तुति दी, उसने पूरे वातावरण को ऊर्जा और उत्साह से भर दिया। उनकी प्रस्तुति यह दर्शाती है कि उचित मार्गदर्शन मिलने पर नई पीढ़ी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को पूरी निष्ठा के साथ आगे बढ़ा सकती है।
इन नृत्य प्रस्तुतियों के माध्यम से भारतीय परंपराओं, लोक-संस्कृति और राष्ट्रप्रेम की भावनाएँ इतनी स्वाभाविक और प्रभावी ढंग से उभरकर सामने आईं कि सभी विशिष्ट अतिथि और दर्शक भावुक हो गए। यह दृश्य इस सत्य को स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि संस्कार केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं होते, बल्कि आचरण और अभिव्यक्ति के माध्यम से भी विकसित होते हैं।
दत्तात्रेय होसबाले जी की गरिमामयी उपस्थिति से बढ़ी आयोजन की गरिमा
कार्यक्रम में सरकार्यवाह आदरणीय श्री दत्तात्रेय होसबाले जी की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिनके सान्निध्य से सम्मेलन और अधिक प्रेरक एवं सफल बना।

इसके साथ ही जी. एम. एकेडमी के चेयरमैन डॉ. श्री प्रकाश मिश्रा, संभावना मिश्रा तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष/कार्यकर्ता अध्यक्ष कैप्टन शैलेंद्र कुमार त्रिपाठी की उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को और अधिक सुदृढ़ किया। इन सभी के समन्वित प्रयासों से यह सम्मेलन एक वैचारिक संगम के रूप में स्थापित हुआ।
शिक्षा और संस्कार: राष्ट्र निर्माण की सुदृढ़ नींव
सम्मेलन में इस तथ्य पर गहन विमर्श हुआ कि किसी भी राष्ट्र को दीर्घकाल तक सशक्त, आत्मनिर्भर और समरस बनाए रखने के लिए उसकी शिक्षा–प्रणाली में केवल शैक्षणिक योग्यताओं तक सीमित रहना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसमें संस्कारों और मूल्यों का समावेश अनिवार्य है। आज समाज में बढ़ती कुरीतियाँ, नैतिक पतन और सामाजिक विघटन इस बात का संकेत हैं कि शिक्षा को मूल्य–आधारित और चरित्र–निर्माण से युक्त बनाना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

इस अवसर पर जीएम एकेडमी की डॉ. संभावना मिश्रा ने कहा कि युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े बिना की गई भौतिक प्रगति न तो स्थायी होती है और न ही सार्थक। शिक्षा जब तक अनुशासन, नैतिकता, सामाजिक उत्तरदायित्व और मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी नहीं होगी, तब तक सशक्त राष्ट्र निर्माण का लक्ष्य अधूरा ही रहेगा। उन्होंने बल दिया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं, बल्कि जागरूक, जिम्मेदार और संस्कारित नागरिकों का निर्माण होना चाहिए, तभी एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र की कल्पना साकार हो सकती है।
वृक्षारोपण से दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
सम्मेलन के पश्चात आदरणीय श्री दत्तात्रेय होसबाले जी का जी. एम. एकेडमी परिसर में भव्य स्वागत किया गया।
इस दौरान उनके द्वारा वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का प्रेरक संदेश दिया गया।


तत्पश्चात कार्यकर्ताओं एवं विद्यालय परिवार से आत्मीय परिचय के साथ सभी ने सौहार्दपूर्ण वातावरण में जलपान का आनंद लिया।
जय हिंद, जय सनातन!
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