अमेरिका ने दो हफ्तों के बजाय तीन दिन में ही किया हमला
हाल ही में अमेरिका ने ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइट्स पर बड़ा सैन्य हमला कर सभी को चौंका दिया। जहां एक ओर अमेरिका यह कह रहा था कि वह दो हफ्तों में फैसला लेगा कि ईरान पर हमला करना है या नहीं, वहीं दूसरी ओर उसने केवल तीन दिनों के भीतर ही कार्रवाई कर दी। माना जा रहा है कि यह रणनीति जानबूझकर बनाई गई थी ताकि ईरान को अपनी परमाणु संपत्तियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का मौका न मिल सके।
इजराइल के दबाव और अमेरिका की सामरिक योजना
इस हमले को इजराइल और अमेरिका की संयुक्त प्लानिंग माना जा रहा है। इजराइल पहले भी इन साइट्स पर हमले कर चुका था, लेकिन वह गहराई में स्थित ठिकानों को नुकसान नहीं पहुंचा सका। इसके बाद अमेरिका को आगे आकर अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग करना पड़ा।
फोर्डो, नतांज और इस्फहान: प्रमुख निशाने पर
इस हमले में अमेरिका ने ईरान की तीन अहम परमाणु साइट्स — फोर्डो, नतांज और इस्फहान को निशाना बनाया:
फोर्डो न्यूक्लियर साइट: पहाड़ों के नीचे 80 मीटर गहराई में स्थित इस सुविधा पर बी-2 बॉम्बर्स से 12 GBU-57 बंकर बस्टर बम गिराए गए।
नतांज: ईरान का सबसे बड़ा यूरेनियम संवर्धन केंद्र, जो जमीन के 40 मीटर नीचे स्थित है।
इस्फहान: जहां यूरेनियम को परमाणु ईंधन में बदला जाता है, वहां टॉमहॉक मिसाइलों और GBU-57 बमों से हमला किया गया।
USS जॉर्जिया से टॉमहॉक मिसाइलें दागीं गईं
पश्चिमी खाड़ी में तैनात USS Georgia से करीब 400 मील दूर से टॉमहॉक मिसाइलें दागी गईं, जिससे ईरान को पलटवार करने का अवसर ही नहीं मिला। यह हमला भारतीय समय अनुसार सुबह 4:30 बजे किया गया।
डोनाल्ड ट्रंप का बयान: “अब शांति का समय है”
हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि “फोर्डो साइट पर सबसे ज्यादा बम गिराए गए हैं।” उन्होंने अमेरिकी सेना की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसी सैन्य क्षमता दुनिया में किसी और देश के पास नहीं है। ट्रंप ने आगे कहा कि “अब शांति का समय है,” लेकिन साथ ही ईरान को चेतावनी भी दी कि अगर पलटवार हुआ तो अगली बार जवाब और कठोर होगा।
इजरायल का स्वागत: “अमेरिका ने वादा निभाया”
इजरायल के प्रधानमंत्री ने कहा कि 13 जून को इजराइल द्वारा शुरू किया गया अभियान अमेरिका ने निर्णायक अंजाम तक पहुंचाया। उन्होंने ट्रंप को “इजराइल का सबसे अच्छा मित्र” बताया।
ईरान का पलटवार: इजरायल पर मिसाइल हमले
हमले के जवाब में ईरान ने रविवार को इजरायल के कई शहरों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। तेल अवीव, हाइफा और अन्य शहरों को निशाना बनाया गया। 27 मिसाइलों के दो चरणों के हमले में 11 से अधिक लोग घायल हो गए।
ईरानी IRGC ने दावा किया कि उन्होंने बेन गुरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट को भी निशाना बनाया, जिसके बाद पूरे इजरायल का एयरस्पेस बंद कर दिया गया।
मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया: तीखी आलोचना और अपील
सऊदी अरब
सऊदी अरब ने अमेरिकी हमले को अत्यंत चिंताजनक बताया और सभी पक्षों से संयम की अपील की।
कतर और ओमान
कतर ने चेतावनी दी कि यह हमला क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विनाशकारी परिणाम ला सकता है। ओमान ने भी हमले की निंदा की।
इराक
इराक सरकार ने कहा कि यह हमला पूरे पश्चिम एशिया की शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है।
पाकिस्तान
पाकिस्तान ने अमेरिका के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया और इस आक्रामकता की आलोचना की।
हमास और फिलिस्तीन
हमास ने अमेरिका की खुली आक्रामकता की निंदा करते हुए ईरान की जनता के साथ एकजुटता जताई।
निष्कर्ष: क्या ईरान में होगा तख़्तापलट? क्या खामनेई अमेरिका के आगे झुकेंगे?
अब यह साफ़ हो चुका है कि अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध सिर्फ शुरुआत नहीं है—यह पूरी तरह से सक्रिय रूप ले चुका है। अमेरिका ने जिस सटीकता और ताकत के साथ ईरान के सबसे सुरक्षित परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया है, वह न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि ईरान की राजनीतिक नेतृत्व क्षमता पर सीधा प्रहार है।
ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामनेई पर अब भारी दबाव है—आंतरिक असंतोष, बाहरी सैन्य दबाव और परमाणु प्रतिष्ठानों की तबाही से ईरान की सत्ता हिल चुकी है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है:
क्या ईरान में जल्द ही कोई बड़ा सत्ता परिवर्तन (तख़्तापलट) देखने को मिलेगा?
क्या खामनेई अमेरिका के आगे झुकेंगे और परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाएंगे?
भविष्य अनिश्चित है, लेकिन इतना तय है कि इस हमले के बाद न तो ईरान पहले जैसा रहेगा और न ही पश्चिम एशिया की राजनीति।
