विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा है संस्कृत : डॉ. दुर्गेश पाण्डेय
देवरिया में संस्कृत सप्ताह का भव्य शुभारंभ
देवरिया, 3 अगस्त।
श्री राधाकृष्ण संस्कृत महाविद्यालय, देवरिया एवं संस्कृत भारती देवरिया के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संस्कृत सप्ताह के उद्घाटन समारोह में वक्ताओं ने संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता, उपयोगिता और समकालीन प्रासंगिकता पर जोर दिया।
संस्कृत – केवल कर्मकाण्ड नहीं, बल्कि आधुनिक विज्ञान की भाषा
संस्कृत भारती देवरिया विभाग संयोजक डॉ. दुर्गेश पाण्डेय ने कहा कि संस्कृत मात्र कर्मकाण्ड या साहित्य की भाषा नहीं, बल्कि भाषा विज्ञान की दृष्टि से विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा है। यह भाषा कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे क्षेत्रों में भी उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
उन्होंने यह भी बताया कि संस्कृत भारती का उद्देश्य इसे पुनः जनभाषा बनाना है और इसके लिए केवल 20 घंटे में संवाद के माध्यम से संस्कृत बोलना सिखाया जाता है।
अब संस्कृत को जनभाषा बनाने का समय – फणीन्द्र मणि त्रिपाठी
महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के आचार्य एवं संस्कृत भारती देवरिया नगर संयोजक श्री फणीन्द्र मणि त्रिपाठी ने अपने प्रस्ताविक भाषण में कहा कि अब समय आ गया है जब संस्कृत को जनभाषा बनाया जाए। संस्कृत भारती इसी लक्ष्य को लेकर संस्कृत सप्ताह जैसे आयोजनों के माध्यम से आम जन तक संस्कृत को पहुंचा रही है।

कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से
कार्यक्रम का शुभारम्भ माता सरस्वती के चित्रपट पर पुष्पार्चन एवं सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत विद्वान श्री अशोक मिश्र ने की, जिन्होंने संस्कृत की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत पर बल दिया।
संस्कृत दिवस पर विविध कार्यक्रमों की योजना
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. वीरभद्र द्विवेदी ने संस्कृत सप्ताह की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रति वर्ष श्रावण पूर्णिमा को संस्कृत दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर संस्कृत गीत, जन सम्पर्क अभियान, सम्भाषण, गोष्ठी आदि का आयोजन किया जाता है ताकि जनमानस में संस्कृत के प्रति रुचि उत्पन्न की जा सके।
संस्कृत के प्रचार-प्रसार में संस्कृत भारती की भूमिका
डॉ. त्रिपुरारी मिश्र, जिला संयोजक संस्कृत भारती देवरिया, ने कहा कि संस्कृत भारती देशभर में संस्कृत के पुनर्जीवन हेतु कार्य कर रही है। देवरिया में भी विभिन्न प्रशिक्षण, कार्यशाला एवं जनजागरण कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को संस्कृत भाषा से जोड़ा जा रहा है
बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं की सहभागिता
कार्यक्रम में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों एवं अन्य संस्कृत प्रेमियों की उपस्थिति रही, जिससे आयोजन को व्यापक जनसमर्थन मिला।
