दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल: चिनाब ब्रिज की 10 अद्भुत बातें जो आपको हैरान कर देंगी By Edu Spectra News Desk | Jammu & Kashmir

जम्मू-कश्मीर की हसीन वादियों में आज एक नया इतिहास रचा गया है। चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज – ‘चिनाब ब्रिज’ – अब पूरी तरह तैयार है और देश को समर्पित कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वंदे भारत एक्सप्रेस के उद्घाटन के साथ-साथ इस अद्भुत पुल का भी लोकार्पण किया गया। आइए जानते हैं इस इंजीनियरिंग के चमत्कार से जुड़ी 10 खास बातें जो आपके होश उड़ा देंगी।

pm modi at bridge
PM Modi pride of India

दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज

चिनाब ब्रिज को इसकी ऊंचाई के कारण वैश्विक पहचान मिली है। इसकी ऊंचाई 359 मीटर है, जो कि फ्रांस के एफिल टावर (330 मीटर) से भी ऊंचा है। यह पुल जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी के ऊपर दो ऊंचे पहाड़ों को जोड़ता है।

स्टील और कंक्रीट का अद्भुत संगम

यह पुल पूरी तरह स्टील और कंक्रीट से बना है और इसका आर्च इतना मजबूत है कि यह हर मौसम और प्राकृतिक आपदा को सहन कर सकता है। चाहे तूफानी हवाएं हों या भीषण भूकंप, यह पुल मजबूती से खड़ा रहेगा।

chenab bridge
world highest railway bridge

इंजीनियरिंग की चुनौती को पार किया

इस पुल का निर्माण कोई आसान काम नहीं था। चिनाब नदी की गहराई और दोनों ओर ऊंची पहाड़ियों के कारण पुल बनाना लगभग असंभव माना जा रहा था। लेकिन भारतीय इंजीनियरों की मेहनत और संकल्प ने इस सपने को साकार कर दिखाया।

तेज हवाओं और तापमान का नहीं असर

यह पुल 266 किमी/घंटा की रफ्तार से चलने वाली तेज हवाओं को भी सहने में सक्षम है। चाहे तापमान माइनस में चला जाए या अत्यधिक गर्मी हो, इसकी संरचना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

120 साल की मजबूती की गारंटी

इसे कम से कम 120 वर्षों तक उपयोग में लाने योग्य बताया गया है। इसकी डिजाइन इतनी ठोस है कि यह लंबे समय तक बिना किसी बड़ी मरम्मत के टिक सकता है।

अत्याधुनिक सेंसर तकनीक

पुल में 112 अत्याधुनिक सेंसर लगाए गए हैं जो हवा की गति, तापमान, कंपन, और अन्य तकनीकी संकेतों की जानकारी देंगे। इससे इसकी निगरानी और सुरक्षा पुख्ता बनी रहेगी।

भारी मात्रा में स्टील का इस्तेमाल

इस पुल के निर्माण में लगभग 30,350 मीट्रिक टन स्टील का प्रयोग किया गया है। यह स्टील विशेष रूप से ऐसी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।

एफिल टावर से भी ऊंचा पुल , लंबाई और चौड़ाई में भी विशाल

चिनाब ब्रिज की कुल लंबाई 1315 मीटर और चौड़ाई 13 मीटर है। इसका आर्च फुटबॉल के आधे मैदान जितना बड़ा है, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े रेलवे आर्च पुलों में शुमार करता है।

150 सर्वर से युक्त कंट्रोल रूम

इस परियोजना के लिए 150 सर्वर की सुविधा वाला एक आधुनिक नियंत्रण कक्ष तैयार किया गया है। यह ब्रिज के सभी पहलुओं की निगरानी करता है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने में मदद करेगा।

देश की कई शीर्ष संस्थाओं का योगदान

इस ब्रिज के निर्माण में उत्तर रेलवे, कोंकण रेलवे, अफकान, केआरसीएल, DRDO, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, IIT रूड़की और IIT दिल्ली जैसी संस्थाओं ने मिलकर काम किया। यह एक बेहतरीन उदाहरण है जब सरकारी, शैक्षणिक और रक्षा संस्थानों ने मिलकर विश्व स्तरीय परियोजना को पूरा किया।

धमाकों से भी अडिग

इसकी सुरक्षा इतनी पुख्ता है कि यह बड़े से बड़े धमाकों को भी सह सकता है।

निष्कर्ष: भारत की शान, दुनिया की पहचान

चिनाब ब्रिज न केवल भारत की इंजीनियरिंग क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह हमारे वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीकी शक्ति का प्रतीक भी है। यह भारत को दुनिया के इंफ्रास्ट्रक्चर मानचित्र पर एक नई ऊंचाई देता है। यह पुल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

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