Hormuz Strait: 2025 में दुनिया की ऊर्जा सुरक्षा पर खतरा? Strait of Hormuz बंद हुआ तो भारत की तेल आपूर्ति पर क्या असर पड़ेगा?

दुनिया की ऊर्जा ज़रूरतें निरंतर बढ़ रही हैं, और इसी ऊर्जा की आपूर्ति के लिए कुछ समुद्री मार्ग अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ऐसे ही मार्गों में एक है – होरमुज़ जलडमरूमध्य। फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के बीच स्थित यह संकीर्ण जलमार्ग सिर्फ एक भूगोलिक स्थान नहीं, बल्कि वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा का मेरुदंड है।

आज जब ईरान और इज़रायल के बीच टकराव हैं, अमेरिका भी रणनीतिक रूप से सक्रिय है, ऐसे में एक बार फिर होरमुज़ जलडमरूमध्य सुर्खियों में है। आइए जानें, क्यों यह मार्ग इतना अहम है, इसकी भौगोलिक, राजनीतिक और आर्थिक महत्ता क्या है और भारत सहित पूरी दुनिया पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है।

होरमुज़ जलडमरूमध्य: Hormuz Strait

होरमुज़ जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) फारस की खाड़ी और अरब सागर को जोड़ने वाला संकीर्ण समुद्री रास्ता है। यह ईरान के दक्षिण और ओमान के उत्तर में स्थित है। इसकी चौड़ाई लगभग 50 किलोमीटर है लेकिन जहाजों की आवाजाही के लिए प्रयोग होने वाला हिस्सा मात्र 3 किलोमीटर चौड़ा है।

भौगोलिक स्थिति:

उत्तर में ईरान, दक्षिण में ओमान और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) । यह जलडमरूमध्य ईरान के बंदरगाहों को वैश्विक बाजार से जोड़ता है । इसी रास्ते से सऊदी अरब, इराक, कुवैत, बहरीन, कतर और यूएई का तेल और गैस विश्व बाजार में पहुंचता है।

दुनिया की ऊर्जा आपूर्ति का 20% इसी से रास्ते से होता है

दुनिया में प्रतिदिन जितना कच्चा तेल समुद्र मार्ग से जाता है, उसका कम से कम 20% भाग सिर्फ होरमुज़ जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। अमेरिका की ऊर्जा सूचना एजेंसी (EIA) के अनुसार: प्रतिदिन 2 करोड़ बैरल से अधिक कच्चा तेल इस जलमार्ग से गुजरता है। इसके अतिरिक्त, तरल प्राकृतिक गैस (LNG) के विशाल टैंकर भी यहीं से जाते हैं। कतर, जो दुनिया का सबसे बड़ा LNG निर्यातक है, उसकी अधिकांश गैस भी इसी रास्ते से निकलती है

रणनीतिक और सैन्य महत्व

ईरान की सामरिक स्थिति:

ईरान की नौसेना की भारी उपस्थिति इस जलडमरूमध्य के उत्तरी तट पर है। ईरान अक्सर यह धमकी देता रहा है कि अगर उस पर हमला हुआ या अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए, तो वह इस मार्ग को बंद कर देगा

अमेरिका और सहयोगियों की रणनीति:

अमेरिका की नौसेना की 5वीं फ्लीट बहरीन में तैनात है। यह फ्लीट लगातार इस क्षेत्र में पेट्रोलिंग करती है ताकि समुद्री मार्ग खुला रहे। अमेरिका के साथ-साथ ब्रिटेन और फ्रांस की नौसेनाएं भी इस क्षेत्र में सतर्क रहती हैं।

strait of hormuz

क्या हो सकता है यदि होरमुज़ जलडमरूमध्य बंद हो जाए?

1. तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि

तेल की आपूर्ति प्रभावित होते ही वैश्विक बाज़ार में तेल के दाम आसमान छूने लगेंगे। इतिहास में ऐसे संकेत मिलते हैं कि यदि होरमुज़ बंद हो गया तो कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर सकती हैं।

2. वैश्विक आर्थिक संकट

तेल और गैस महंगे होने से परिवहन, उत्पादन, कृषि से लेकर घरेलू उपयोग तक हर चीज़ महंगी हो जाएगी। इससे महंगाई, मंदी और आर्थिक अस्थिरता जैसे संकट खड़े हो सकते हैं।

3. भारत पर असर

भारत अपनी कुल ऊर्जा ज़रूरतों का 80–90% आयात करता है। इसमें से लगभग 40% तेल और गैस पश्चिम एशिया से आता है। होरमुज़ बंद होते ही भारत को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

4. शिपिंग और ट्रेड पर असर

सिर्फ ऊर्जा ही नहीं, समुद्री व्यापार भी प्रभावित होगा। मालवाहक जहाजों को वैकल्पिक और लंबी राहों से होकर जाना पड़ेगा जिससे लॉजिस्टिक्स महंगा और धीमा हो जाएगा।

भारत की दृष्टि से खतरे और विकल्प, क्यों भारत को चिंता है?

भारत की दृष्टि से खतरे और विकल्प, क्यों भारत को चिंता है?
भारत, सऊदी अरब, ईरान, इराक और कुवैत से भारी मात्रा में तेल आयात करता है। इन सभी देशों के साथ भारत के रणनीतिक, वाणिज्यिक और कूटनीतिक संबंध हैं। होरमुज़ के ज़रिए ही भारत की ऊर्जा गाड़ी चलती है।

भारत के विकल्प:

रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (Strategic Petroleum Reserves – SPR): भारत ने तेल का भंडारण करने के लिए कई भंडार बनाए हैं

विविधता लाना: भारत अब अफ्रीका, अमेरिका और रूस जैसे देशों से भी भी भारत खरीदकी दिशा में कदम बढ़ा रहा है

वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की खोज: भारत सौर, पवन और जैव ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से निवेश कर रहा है।

ईरान की रणनीति और प्रभाव

ईरान, जो स्वयं इस जलमार्ग के उत्तरी किनारे पर है, इसे एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करता है। ईरान यह संदेश देना चाहता है कि यदि उस पर आर्थिक प्रतिबंध या सैन्य हमला हुआ, तो वह इस मार्ग को बंद करके पूरी दुनिया को संकट में डाल सकता है।

यह रणनीति कई बार कारगर भी रही है, क्योंकि अमेरिका और पश्चिमी देश ईरान के खिलाफ कार्यवाही करते समय इस जोखिम का आकलन करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य देश होरमुज़ जलमार्ग को खुला रखने की वकालत करते रहे हैं। UN समुद्री कानून के तहत यह एक अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग है। यदि कोई देश इसे बंद करता है, तो इसे युद्ध की स्थिति माना जा सकता है।

भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान

चुनौतियाँ:

ईरान और इज़रायल का बढ़ता टकराव। अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ती कड़वाहट। चीन और रूस जैसे देशों का समर्थन प्राप्त होना ईरान की स्थिति को और मजबूत बनाता है।

समाधान:

संवाद और कूटनीति के माध्यम से तनाव को कम किया जाए।वैश्विक स्तर पर ऊर्जा आपूर्ति के वैकल्पिक मार्ग और स्रोत खोजे जाएं।भारत जैसे देश अपनी ऊर्जा ज़रूरतों में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ें।

निष्कर्ष

होरमुज़ जलडमरूमध्य सिर्फ एक भूगोलिक स्थान नहीं है, यह दुनिया की ऊर्जा धमनियों का केंद्र है। यहां से हर दिन करोड़ों बैरल तेल गुजरता है, जो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखता है। इसकी सुरक्षा, स्थिरता और खुलेपन को बनाए रखना सभी देशों की साझा जिम्मेदारी है।भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऊर्जा की निर्बाध आपूर्ति ही औद्योगिक और आर्थिक विकास की नींव है। आने वाले वर्षों में यदि हमें ऊर्जा संकट से बचना है, तो होरमुज़ जलडमरूमध्य जैसे समुद्री मार्गों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी ही होगी।

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