Vijay 69 Review: 69 जवानी की नई दहलीज, समाज को नया संदेश देती है अनुपम खेर की ये फिल्म

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नई दिल्ली. अनुपम खेर ने 28 साल की उम्र में फिल्म ‘सारांश’ में एक बुजुर्ग का किरदार निभाकर खूब वाहवाही लूटी थी. अब 69 की उम्र में एक्टर ने 69 साल के विजय मैथ्यू का किरदार निभाया है. लेकिन ना वह असल जिदंगी में और ना ही ऑन स्क्रीन बूढ़े हो रहे हैं. अपनी मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘विजय 69’ में यही बताने की कोशिश कर रहे हैं कि 69 जवानी की नई दहलीज है.

ऐसी है फिल्म की कहानी
विजय एक गुस्सैल और मुंह पर बात करने वाला व्यक्ति है, जो अपनी जवानी में एक तैराकी चैंपियन था. लोगों से कुछ अलग करने की हिम्मत के लिए याद किए जाने के संकल्प के साथ, वह एक ट्रायथलॉन में भाग लेने का फैसला करते हैं और इसे पूरा करने वाला सबसे बुजुर्ग व्यक्ति बन जाता है. हालांकि शुरू में उसके इस प्रयास की खूब खिल्ली उड़ती है, लेकिन वह अपनी जिंदगी जीना चाहता है. उसका सबसे अच्छा दोस्त, भाथेना (चंकी पांडे द्वारा निभाया गया), उसका सबसे बड़ा समर्थक है, विजय की सभी बाधाओं के खिलाफ जीत की कहानी एक सशक्त कथा है जो फिल्म के प्लॉट को एक दिल छू लेने वाली कहानी बनाता है.

क्यों देखें?
कभी-कभी सबसे सरल कहानियां ही सबसे ज्यादा अट्रेक्टिव होती हैं. विजय 69 इसका बड़ा प्रमाण है! कहानी सीधी-सादी होते हुए भी आपका दिल जीतने का दम रखती है, और फिल्म का पहला भाग तो आपको पूरी तरह फिल्म से जोड़े रखता है. ये इस साल की सबसे प्रेरणादायक फिल्मों में से एक है. फिल्म आपको काफी इंस्पायर करती है. यकीनन फिल्म देखने के बाद आप अपने मम्मी पापा को गले से लगा लेंगे. उनके सपनों को पूरा करने के बारे में सोचेंगे. फिल्म का इमोशंस पार्ट देख आपका दिल भर आएगा. फिल्म में एक खास देती है कि उठो और अपने सपनों को पूरा करो.

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फिल्म देती है खास सदेंश
फिल्म में दिखाया गया है कि विजय पर इस बात के लिए दबाव डाला जाता है कि एक उम्र के बाद इंसान का काम है कि बाहर बैठकर अखबार पढ़े, घर बैठकर टीवी देखे और अपना जीवन बसर करें. लेकिन फिल्म में विजय ने 69 की उम्र में अपने हर उस सपने को साकार किया, जिसे वो अपनी उम्र रहते पूरा नहीं कर पाता. फिल्म यही बड़ा संदेश देती है कि 69 की उम्र जवानी की नई दहलीज है, इसमें आप अपने वो सारे सपने पूरे करे, जिन्हें वक्त रहते आप पूरा नहीं कर पाए थे.

बता दें कि अक्षय रॉय ने अब्बास टायरवाला के साथ मिलकर स्क्रिप्ट लिखी है. अक्षय ने फिल्म के डायरेक्शन की कमान भी संभाली है. एक दम कसा हुए डायरेक्शन के साथ उन्होंने फिल्म को परोसा है. उन्होंने ना सिर्फ मां बाप के सपनों पर फिल्म बनाई है बल्कि इसे आज की पीढ़ी से भी जोड़ा है. बात अगर फिल्म में मौजूद कलाकारों की बात करे तो सभी ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है.

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